Saturday, 10 September 2022

नया चेहरा लगा लिया

 गुमनाम जिंदगी अंजान रास्ते,

चलते हैं साथ-साथ सदियों के फासले,

जीने की आरज़ू ने मुखबीर बना दिया, 

हर बार एक नया चेहरा लगा लिया,

कुछ इस तरह से मेने जीवन सजा लिया,

हर बार एक नया चेहरा लगा लिया,

तकदीर की लकीरे हाथो में रुक गयी,

कदमों की आहटो से, मंजिल ठहर गयी,

अपनों की आरज़ू को हरपल मीटा दिया,

हर बार एक नया चेहरा लगा लिया।

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