इक दिन सारे दुःख दर्द बयां करेंगे
हम इससे ज्यादा और क्या करेंगे??
जी करेगा तो अकेले फूटकर रोएंगे
बाकि सबके आगे खुश रहा करेंगे
ज़िंदगी है कि करवट नहीं बदलती
भला कब तलक हम हौंसला करेंगे??
महज़ दो रोटी के पीछे इतना झंझट
और हम सोचते थे बड़े मजे करेंगे
बेबसी के जिस दर्द से गुज़र रहे हैं
हम पंछी खरीदेंगे उन्हें रिहा करेंगे..
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